वोट चोरी की सच्चाई सामने आनी चाहिए
- 31-Oct-25 12:00 AM
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कलबुर्गी स्थित जिस कॉल सेंटर की सेवा इसके लिए ली गई, उसे मतदाता के नाम को काटने की हर अर्जी के लिए 80 रुपए दिए गए। दिसंबर 2022 से फरवरी 2023 के बीच ऐसी कुल 6,018 अर्जियां दी गईं।कर्नाटक पुलिस का विशेष जांच दल (एसआईटी) इस नतीजे पर पहुंचा है कि राज्य के अलांद विधानसभा क्षेत्र में 2023 के चुनाव से पहले नियोजित ढंग से मतदाताओं के नाम मतदाता कटवाए गए। ऐसा ऑनलाइन माध्यम से हुआ। एसआईटी इस निष्कर्ष पर है कि कलबुर्गी स्थित जिस कॉल सेंटर की सेवा इसके लिए ली गई, उसे मतदाता के नाम को काटने की हर अर्जी के लिए 80 रुपए दिए गए। दिसंबर 2022 से फरवरी 2023 के बीच ऐसी कुल 6,018 अर्जियां दी गईं। इस तरह कुल लगभग 4.80 लाख रुपये का भुगतान किया गया। संदेह है कि यह रकम 2023 में अलांद सीट पर पराजित हुए भाजपा उम्मीदवार सुभाष गुट्टेदार की तरफ से दी गई। कर्नाटक पुलिस ने पिछले हफ्ते गुट्टेदार के घर पर छापा मारा था।बहरहाल, सिर्फ 24 ऐसे वास्तविक मतदाताओं की पुष्टि हुई है, जिनके नाम इस प्रयास के कारण मतदाता सूची से हटे। बाकी मतदाता पहले ही उस क्षेत्र से जा चुके थे- यानी उनका नाम कटना जायज ही था। मगर 24 मतदाताओं के नाम कटना भी बड़ा मुद्दा है। इससे पुष्टि होती है कि इस तरह के सुनियोजित प्रयास हुए और ऐसा ऑनलाइन माध्यम से तीसरे पक्ष की तरफ से किया गया। यही इल्जाम कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने लगाया था। उनके आरोपों के बाद निर्वाचन आयोग ने यह अनिवार्य कर दिया है कि किसी मतदाता का नाम काटने की अर्जी सिर्फ आधार से जुड़े मोबाइल फोन नंबर से ही दी जा सकेगी।इस तरह उम्मीद जगी है कि भविष्य में इस तरह की वोट चोरी को रोका जा सकेगा। परंतु, जैसाकि बाद में राहुल गांधी ने कहा था, पहले हुई वोट चोरी की सच्चाई सामने आनी चाहिए। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इसके लिए निर्वाचन आयोग ने पर्याप्त सक्रियता नहीं दिखाई है। उससे अपेक्षित है कि कर्नाटक एसआईटी जांच में पूरा सहयोग करे और इस प्रकरण को इसके अंजाम तक पहुंचाए। भारत की चुनाव प्रक्रिया पर पहले से कई सवाल हैं। वोट चोरी के आरोप से उसमें एक और संगीन पहलू जुड़ा। संदेह के ये सायों को तुरंत नहीं हटे, तो उसके गंभीर नतीजे हो सकते हैँ।
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