स्कूली इमारतों के निर्माण गुणवत्तापूर्ण हों

  • 05-Aug-25 12:00 AM

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को निर्देश जारी कर स्कूलों में बच्चों से जुड़ी संरचनाओं तथा सुरक्षा तंत्र का ऑडिट करना अनिवार्य कर दिया है।यह कदम राजस्थान के झालावाड़ जिले के पिपलोदी गांव में एक सरकारी स्कूल की इमारत का हिस्सा गिरने के मद्नेनजर उठाया गया है। गौरतलब है कि 25 जुलाई को हुए इस हादसे में सात बच्चों की मौत हो गई और 28 अन्य घायल हो गए थे। इसे देखते हुए शिक्षा मंत्रालय ने स्कूली इमारतों में संरचनात्मक समग्रता, अग्नि सुरक्षा, आपातकालीन निकास और बिजली के तारों का गहन मूल्यांकन करने को कहा है।कर्मचारियों और छात्रों को आपातकालीन तैयारियों का प्रशिक्षण, जिसमें निकासी अभ्यास, प्राथमिक उपचार और सुरक्षा प्रोटोकॉल शामिल हों, सुनिश्चित करने को भी कहा है। हाल के समय में स्कूलों में कई दुखद घटनाएं हुई हैं, जिनमें कई छात्र असमय काल के गाल में समा गए। जाहिर है कि यह कदम काफी देर से उठाया गया है, लेकिन निश्चित ही सराहनीय है, जिसमें नौनिहालों के जीवन को लेकर सरकार की संजीदगी का पता चलता है।राज्यों के सार्वजनिक निर्माण विभाग और पंचायती स्तर पर स्कूली इमारतों के निर्माण कराए जाते हैं। जरूरी है कि निर्माण गुणवत्तापूर्ण हों। निर्माण सामग्री घटिया न हो। इसके लिए इन विभागों में निगरानी तंत्र होता है। यदि कोई इमारत मियाद पूरी करने से पहले ही जर्जर होकर धराशायी होने के कगार पर जा पहुंची है, तो निर्माण कार्य में घटिया सामग्री के इस्तेमाल के साथ ही लापरवाही और सरकारी धन की बंदरबांट बड़े कारण हो सकते हैं।इसलिए जरूरी है कि स्कूली इमारतों में निर्माण के स्तर पर अतिरिक्त सतर्कता बरती जाए। ऐसा होता है तो इस प्रकार की दर्दनाक घटनाओं का सामना नहीं करना पड़ेगा। सरकार के ही कई विभाग हैं, जो अपने लिए जरूरी निर्माण कार्य अपने तई विभाग गठित करके पूरा कराते हैं। इन विभागों का प्रमुख दायित्व निर्माण कार्य की गुणवत्ता सुनिश्चित करना होता है यानी अपनी नजरों के सामने निर्माण कराए जाने को तरजीह दी जाती है। यहां तो मसला होनहारों का है, जिन्हें किसी भ्रष्टाचार का शिकार नहीं होने दिया जा सकता। अच्छी बात है कि सरकार ने सभी स्कूली इमारतों की सुरक्षा जांच को कहा है। यह भी जरूरी है कि असुरक्षित स्थितियों पर सतत कड़ी नजर रखी जाए।




Related Articles

Comments
  • No Comments...

Leave a Comment