(बिलासपुर) छत्तीसगढ़ में बदला अंग्रेजों के जमाने का कानून, सरकारी गवाह को 100 के बजाय 300 रुपये मिलेंगे

  • 05-Oct-24 12:00 AM

बिलासपुर, 05 अक्टूबर (आरएनएस)। आपराधिक प्रकरणों में गवाही का सबसे ज्यादा महत्व है। गवाही इतनी महत्वपूर्ण होती है कि अदालतों को अपना फैसला सुनाने में मदद मिलती है। आपराधिक प्रकरणों में गवाही देने कोर्ट आने वाले लोगों को कितना भत्ता मिलता होगा। यह जानने की उत्सुकता सभी को है। अंग्रेजों ने जो नियम बनाए थे उसके अनुसार 100 रुपये। ब्रिटिश गर्वनमेंट ने इस भत्ते का नाम रखा था खुराक भत्ता। अंग्रेजों के बनाए नियम और मापदंडों को बदलने के लिए पूर्व जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुरेंद्र तिवारी को लंबी कानूनी लड़ाई लडऩी पड़ी। अब जाकर राज्य शासन ने इसमें बदलाव कर दिया है। गवाही देने वाले व्यक्ति को अब 300 रुपये का भुगतान किया जाएगा। राज्य शासन ने इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी है।नियमों में बदलाव से पहले आपराधिक प्रकरणों में अदालत में उपस्थित होने पर अभियोजन गवाह को 100 रुपए की दर से खुराक भत्ता दिया जाता था। यह भत्ता न्यूनतम मज़दूरी अधिनियम,1948 में हर छह महीने में राज्य शासन द्वारा पुन: निर्धारित की जाने वाली अकुशल कृषि मजदूर को दी जाने वाली दैनिक मजदूरी से भी कम है। खुराक भत्ते की दर को पुनरीक्षित करने की मांग करते हुए बिलासपुर निवासी रिटायर्ड जि़ला एवं सत्र न्यायाधीश सुरेन्द्र तिवारी ने विधि विधायीविभाग, छग शासन को 1 फरवरी,2024 को पत्र लिखा था। विधि विधायी विभाग को पत्र लिखने के साथ ही एक कापी विधि विधायी मंत्री अरुण साव को सौंप दी थी।विधि विधायी विभाग ने पूर्व डीजे के पत्र को उचित कार्यवाही हेतु छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट को भेजा था। इसमें बदलाव को लेकर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने अपनी अनुशंसा विधि विधायी विभाग को भेज दी थी। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट की अनुशंसा के बाद राज्य शासन ने 26 सितंबर,2024 को राजपत्र में प्रकाशन कर भत्ते की दर 100 रुपए से बढ़ाकर 300 रुपए कर दिया है। बता दें कि पूर्व जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुरेंद्र तिवारी हिदायतुला नेशनल ला यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार और राज्य विक्रय कर अभिकरण के चेयरमैन भी रह चुके हैं।त्रिपाठी




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