...चोरी फिर भी सीनाजोरी

  • 06-Apr-24 12:00 AM

चुनाव के दिनों में लोकतांत्रिक हथियार के रूप में आरोप प्रत्यारोप का खेल खूब देखा जाता रहा है, मगर फाइनेंसियल टूल को चुनाव लडऩे का हथियार बना लेना यह 2024 के लोकसभा चुनाव को सबसे अलग बना रहा है।इन्कम टैक्स डिपार्टमेंट का विपक्षी दलों को नोटिस भेजना भले एक रूटीन काम हो सकता है, मगर इसकी टाइमिंग विपक्ष को सत्तारूढ़ दल पर हमला करने का मौका जरूर दे रही है।वैसे देखा जाए तो पहले भी सत्तासीन पार्टियों द्वारा ऐसी संस्थाओं के उपयोग की कहानी न्यायालयों द्वारा भी दुरुपयोग के विशेषण से नवाज़ी गई है परन्तु अबकी यह मामला प्रभाव क्षेत्र के हिसाब से बहुत आगे निकल गया है। इन्कम टैक्स का नोटिस सबसे बड़े विपक्षी दल कांग्रेस के लिए अस्तित्व का संकट लेकर आया है। शनिवार को ज़ारी किये गए डिमांड नोटिस के बाद कांग्रेस पर आयकर विभाग का कुल लगभग 3,567 करोड़ रूपये बकाया बैठता है। ताजा डिमांड नोटिस 1745 करोड़ रूपये का है जो वित्त वर्ष 2014- 2015, 2015- 2016 और 2016- 2017 का है। हालांकि इसकी आशंका कांग्रेस शुक्रवार की अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में जाहिर कर चुकी थी कि उसे अभी और परेशान किया जाएगा। इसके पहले जो कांग्रेस को नोटिस मिला था वह 1823 करोड़ रूपये का था। यह बकाया पांच अलग-अलग वित्तीय वर्षों के लिए था और इसमें मूल और ब्याज दोनों राशियां शामिल है। दिलचस्प बात यह भी है कि इस नोटिस में वित्तीय वर्ष 1994-1995 में कांग्रेस पार्टी द्वारा वित्तीय गड़बड़ी और टैक्स की हेरा फेरी का वित्तीय दंड भी शामिल है।आयकर विभाग के ये नोटिस कांग्रेस पार्टी के अस्तित्व पर बहुत बड़ा प्रश्न चिन्ह बनकर इसलिए खड़े हो गए हैं क्योंकि पार्टी ने 2023- 2024 के आयकर रिटर्न में पार्टी की कुल संपत्ति ही 1430 करोड़ रूपये बतायी थी। इसमें 657 करोड़ रूपये का फंड, 340 करोड़ की चल अचल संपत्ति और लगभग 388 करोड़ का लिक्विड कैश बताया है। इसका सीधा अर्थ यह है कि पार्टी अपनी कुल संपत्ति बेचकर भी आयकर विभाग का फाइन नहीं भर सकती। अगर ऐसा होता है तो कांग्रेस पार्टी दिवालिया घोषित हो जाएगी। अगर ऐसा हुआ तो यह भारतीय राजनीति की एक ऐसा घटना होगी जो अगर सकारात्मक प्रभाव को लेकर आगे बढ़ी तो कभी भी कोई पोलिटिकल पार्टी इन्कम टैक्स के नियमों को सुविधानुसार उपयोग में लाने की भूल से बचेगी। लेकिन अगर इसी को नकारात्मक रूप से इस्तेमाल किया जाने लगा तो बदले की भावना से ग्रसित होकर स्वयं सत्ता में आने पर पूर्वकालिक सत्तारूढ़ पार्टियों के ऊपर भी ऐसी ही कार्यवाही करेगी। राहुल गांधी प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस बात की धमकी दे चुके हैं। अब सवाल यह उठता है कि कांग्रेस और समस्त इंडिया गठबंधन आयकर विभाग के नोटिस को जिस तरह से गलत बता रहा है वो नोटिस सही हैं या गलत शनिवार को जारी 1745 करोड़ रूपये के नोटिस के अलावा दूसरा मामला 1700 करोड़ के नोटिस का है। मामला 2017 से 2021 के बीच कांग्रेस को कैश के रूप में मिले चंदे और अन्य कैश अनियमितताओं से जुड़ा है। इसमें लगभग 526 करोड़ रूपये शामिल हैं, जिसका स्पष्ट हिसाब-किताब कांग्रेस के पास नहीं है। दरअसल 2019 में आयकर विभाग के कई छापों के दौरान यह बात खुल कर सामने आई थी कि दो कंपनियां मेधा इंजीनियरिंग और कमलनाथ के करीबी की एक कम्पनी ने कैश में कांग्रेस को ये पैसे दिए हैं। आयकर विभाग को इन कंपनियों द्वारा कांग्रेस को ट्रांजेक्शन की रसीद मिली है। सूत्रों के अनुसार 20 करोड़ के एक पेमेंट का ब्यौरा आयकर विभाग के पास ऐसा भी है जिसमें कमलनाथ के जरिये पैसा सीधे कांग्रेस ऑफिस को गया है। आयकर विभाग दावा कर रहा है कि ये सारे पैसे रिश्वत के हैं जिसे मध्य प्रदेश में मंत्रियों और अफसरों को दिया गया था और जो घूम फिर कर कांग्रेस पार्टी को फंड के रूप में मिला है। यह आयकर कानून के सेक्शन 13(्र) का उल्लंघन है जिसके अनुसार 2,000 रूपये से ज्यादा कैश पेमेंट कोई पार्टी नहीं ले सकती। इसी तरह तीसरा मामला 135 करोड़ का है। यह 2018- 2019 के बीच का है। इस दौरान कांग्रेस ने साढ़े 14 लाख रुपये का दान नकद में लिया और टैक्स रिटर्न भी 33 दिन की देरी से फाइल किया था। इसका परिणाम यह हुआ कि उस वित्त वर्ष में कांग्रेस की कुल आय को ही टैक्स रिबेट के दायरे से बाहर कर दिया गया जो 135 करोड़ था। राजनीतिक दलों को इनकम टैक्स में छूट आयकर कानून की धारा 13(1) के तहत क्लेम करनी पड़ती है। कांग्रेस पर इसी प्रावधान के उल्लंघन का आरोप है। चूंकि पार्टी ने इस वित्त वर्ष के दौरान 33 दिन की देरी से टैक्स रिटर्न फाइल किया तो आयकर विभाग ने कांग्रेस की कुल 199 करोड़ की आय पर टैक्स के छूट के दावे को खारिज कर दिया। हालांकि 2021 में विभाग ने 105 करोड़ की अनियमितता के एवज में नियमानुसार 20 फीसदी यानी 21 करोड़ चुकाने को कहा था जिसके बाद केस की सुनवाई तक स्टे लग जाता। पर कांग्रेस ने ऐसा नहीं किया। परिणामस्वरूप 16 मार्च को आयकर विभाग ने कांग्रेस के बैंक खातों से 135 करोड़ रुपये की वसूली कर ली। इसमें से 103 करोड़ के करीब का जुर्माना था और बाकी के 21 करोड़ इस जुर्माने पर लगे ब्याज की रकम थी। यह अमाउंट लियन है अर्थात बैंक अकॉउंट में फाइन वाली अमाउंट पर रोक लगा दी गई है, बाकी पैसों को पार्टी खर्च कर सकती है। यहीं कांग्रेस झूठ का भ्रम फैला रही है कि उसके बैंक अकॉउंट फ्रीज कर दिये गये हैं। मगर वास्तव में ऐसा है नहीं। अब इनके अकॉउंट में सिर्फ फाइन जितने पैसे थे तो क्या ही किया जा सकता है और अब तो कुल फाइन जितने पैसे भी कांग्रेस के एकाउण्ट में नहीं बचे हैं। चौथा मामला 1994-95 की आय और उससे जुड़े हिसाब-किताब की गड़बड़ी से है। इस केस में आयकर विभाग ने पार्टी पर 53 करोड़ का जुर्माना लगाया है। यहां भी आयकर कानून की धारा 13 के सेक्शन ए के उल्लंघन की बात की जा रही है। कांग्रेस पार्टी के अलावा तृणमूल कांग्रेस को भी आयकर विभाग का नोटिस मिला है। इसके अलावा सीपीआई को भी 11 करोड़ का नोटिस विभाग ने भेजा है। पार्टियां अगर चाहती तो इन सारे नोटिस में फाइन अमाउंट का 20त्न जमा कर नोटिस के विरुद्ध क्लेम में जा सकती थी। इससे बैंक के भी लेन देन में रोक नहीं लगती, ना ही कोई अमाउंट रोका जाता। लेकिन ऐसा करने के बजाय कांग्रेस अदालत के दरवाजे पर पहुंच गयी। दिल्ली उच्च न्यायालय कांग्रेस पार्टी के नोटिस पर स्टे की गुहार को ख़ारिज कर चुका है। आयकर ट्रिब्यूनल ने भी मामले में पुन: अवलोकन से इन्कार कर दिया है। अब कांग्रेस चाहे कितनी भी दुहाई दे कि पुराने मामलों को री- इन्वेस्टीगेट कर भाजपा गलत कर रही या ऐसे ही अनियमितता भाजपा ने भी बरती है तो उस पर कार्यवाही क्यों नहीं ये राजनीतिक सवाल हैं परंतु सच यही है कि पैसे के लेन देन में कांग्रेस पार्टी ने नियमों को ताख पर रखा है। जब सामान्य तरीके से वो अपनी छूट का लाभ ले सकते थे तब भी उनकी ओर से अनदेखी की गयी। अब कानून के अनुसार आयकर विभाग कार्रवाई कर रहा है तो कांग्रेस सहित विपक्षी पार्टियां इसे राजनीतिक रंग दे रही हैं। यह चोरी के बाद सीनाजोरी वाली कहावत को चरितार्थ करने जैसा है। बहरहाल, सुप्रीम कोर्ट में आयकर विभाग ने आज सूचित किया है कि वह जुलाई तक कांग्रेस के खिलाफ किसी प्रकार की जब्ती या वसूली की कार्रवाई नहीं करेगा क्योंकि चुनाव चल रहे हैं। जुलाई में आयकर विभाग क्या करेगा या फिर कांग्रेस क्या करती है, यह उस समय पता चलेगा, लेकिन कांग्रेस के सामने जो टैक्स संकट खड़ा हुआ है वह उसकी अपनी गलतियों का नतीजा है। इसका केन्द्र सरकार पर दोषारोपण उचित नहीं होगा।




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