26 मुस्लिम सांसद निर्वाचित जो बेहद कम

  • 15-Jun-24 12:00 AM

जाहिद खानदेश में हर आम चुनाव में मुस्लिमों की नुमाइंदगी आहिस्ता-आहिस्ता कम होती चली जा रही है। 18वीं लोक सभा में मुसलमानों की नुमाइंदगी देखें, तो 543 सांसदों वाले सदन में इस मर्तबा कुल 26 मुस्लिम सांसद ही निर्वाचित हुए हैं जो बेहद कम हैं।संसद में मुस्लिम प्रतिनिधित्व बढऩे की बात तो छोडि़ए, अब तमाम सियासी पार्टयिां उन्हें टिकट देने से भी कतराती हैं। कहीं बीजेपी उन पर मुस्लिम-परस्त होने का इल्जाम न लगा दे। पार्टी के कुछ बड़े लीडर इस मुद्दे पर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का कोई भी मौका हाथ से नहीं जाने देते।17वीं लोक सभा के चुनाव में मुख्तलिफ पार्टयिों ने 115 मुस्लिमों को टिकट दिया था, लेकिन इस बार सिर्फ 78 मुस्लिम प्रत्याशियों पर ही अपना दांव लगाया जबकि देश में 100 सीटें ऐसी हैं, जहां मुस्लिम आबादी 20 फीसद से ज्यादा है। सत्रहवीं लोक सभा में 27 मुस्लिम संसद में पहुंचे थे। इस चुनाव में एक सांसद और कम हो गया।18वीं लोक सभा में सबसे अधिक छह मुस्लिम सांसद पश्चिम बंगाल से संसद में पहुंचे हैं। सूबे की छह सीटों जंगीपुर, बहरामपुर, मुर्शिदाबाद, बशीरहाट, माल्दा दक्षिण और उल्बेरिया से मुस्लिम उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की है। इनमें पांच सीटों पर तृणमूल कांग्रेस तो एक सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी चुनाव जीता है।देश में सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी उत्तर प्रदेश में है, जो राज्य की कुल आबादी का 20 फीसद है। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी ने चार मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया था और चारों जीत दर्ज कर संसद में पहुंच गए हैं। सहारनपुर लोक सभा सीट पर कांग्रेस नेता इमरान मसूद चुनाव जीते।इस तरह उत्तर प्रदेश से पांच मुस्लिम सांसद संसद में अपनी आवाज उठाएंगे। बाकी राज्यों की बात करें तो बिहार, जहां मुसलमानों की तीसरी बड़ी आबादी निवास करती है, से सिर्फ दो मुस्लिम उम्मीदवार लोक सभा में पहुंचे हैं। केरल और जम्मू और कश्मीर से तीन-तीन मुसलमान सांसद चुने गए हैं। असम से भी इस मर्तबा दो मुस्लिम सांसदों ने संसद में पहुंचने में कामयाबी हासिल की है। तेलंगाना, कर्नाटक, लद्दा, लक्षद्वीप और तमिलनाडु से एक-एक मुस्लिम सांसद के तौर पर निर्वाचित हुए हैं।बीजेपी अदद ऐसी पार्टी है, जिसकी तरफ से इस चुनाव में एक भी मुस्लिम सांसद लोक सभा नहीं पहुंचा है। यही हाल सत्रहवीं लोक सभा का था। बीजेपी ने पूरे देश में सिर्फ एक सीट केरल के मलप्पुरम से डॉ. अब्दुल सलाम को उम्मीदवार बनाया था, लेकिन अफसोस! वह चुनाव न जीत सके। बीजेपी के अलावा एनडीए गठबंधन की बात करें तो इससे भी कोई मुस्लिम सांसद संसद में नहीं पहुंचा है।साल 2006 में मुसलमानों की आर्थिक, सामाजिक, शैक्षणिक और राजनैतिक दशा बयां करने वाली सच्चर कमेटी ने अपनी बहुचर्चित रिपोर्ट में भारतीय लोकतंत्र की इस विसंगति की ओर खास तौर पर इशारा किया था कि भारत जैसे बहुसांस्कृतिक, सामाजिक संरचना वाले देश में सभी वयस्कों को मताधिकार के आधार पर स्थापित लोकतांत्रिक प्रक्रिया में अक्सर जातीय, भाषायी और धार्मिंक अल्पसंख्यकों को कम आबादी की वजह से निर्वाचित होने का मौका नहीं मिल पाता। इससे सत्ता में हिस्सेदारी का उन्हें कम मौका मिलता है।Ó अभी तलक के लोक सभा चुनावों के रिकार्ड उठाकर देखने पर इस बात की तस्दीक खुद-ब-खुद हो जाती है।




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