90 घंटे काम करने की अपेक्षा

  • 27-Jan-25 12:00 AM

कभी -कभी किसी विशिष्ट व्यक्ति के मुंह से कुछ इस तरह के बयान निकल कर बाहर आ जाते हैं जिनके बारे में तय करना मुश्किल हो जाता है कि इन्हें गंभीर मान कर इन पर समुचित ध्यान दिया जाए या हास्यास्पद मान कर दरकिनार कर दिया जाए।पिछले दिनों लार्सन एंड टूब्रो (एल एंड टी) के चेयरमैन एस. एन. सुब्रमण्यम ने जो बात कही उस पर पूरे देश में प्रतिक्रिया हुई। उन्होंने अपने कर्मचारियों की बैठक में कहा कि कर्मचारियों को सप्ताह में 90 घंटे और रविवार को भी काम करना चाहिए। अपनी पत्नियों का मुंह निहारने में समय नष्ट नहीं करना चाहिए। इससे पहले इंफोसिस के मालिक नारायण मूर्ति भी कर्मचारियों से सप्ताह में 70 घंटे काम करने का आह्वान कर चुके हैं।अगर इन टिप्पणियों को सचमुच गंभीरता से लिया जाए तो ये बहुत क्रूरता, नासमझी और असंवेदनशीलता से भरी हुई टिप्पणियां हैं। इनका निहित भाव यह है कि कर्मचारी न अपने परिवार पर ध्यान दें, न दोस्तों, मित्रों और रिश्तेदारों से संपर्क रखें और अपने सामाजिक जीवन को त्याग दें। भारत जैसे देश में जहां शिक्षित बेरोजगारों की दर बहुत ज्यादा है, और जिन्हें रोजगार मिला भी हुआ है, उन्हें भी अपने श्रम के अनुकूल वेतन नहीं मिलता।एक आंकड़े के अनुसार भारत के विभिन्न क्षेत्रों में रोजगाररत लोगों में से 67 फीसद ऐसे हैं जो कार्य संबंधी कारणों से तनावग्रस्त रहते हैं जिससे उनके परिवारों में भी तनावग्रस्त वातावरण बन जाता है। तिस पर कार्यस्थलों का वातावरण उनके प्रति सहानुभूतिपूर्ण, संवेदनशील और समझदारी भरा न हो तो उनकी समस्याएं और अधिक बढ़ जाती हैं। ऐसे में उनसे सप्ताह में 90 घंटे कार्य करने की अपेक्षा करना उनकी सामाजिक और पारिवारिक जिंदगियों को नर्क में झोंक देने जैसा है।आजकल तो ऐसे भी संस्थान हैं जो अपने बड़े-बड़े अधिकारियों को ज्यादा वेतन इसलिए देते हैं कि वे छोटे कर्मचारियों का शोषण करें। वास्तव में बहस इस पर होनी चाहिए कि संस्थाओं में कर्मचारियों को उत्पादनक्षम वातावरण कैसे मिले जिससे पारिवारिक तथा व्यावसायिक जीवन में संतुलन आए न कि उनसे 90 घंटे काम करने की अपेक्षा की जाए। हालांकि अब एल एंड टी की एचआर हेड ने अपने चेयरमैन का बचाव करते हुए कहा है कि उनके बयान को गलत संदर्भ में लिया गया है। लेकिन सच तो यह भी है कि जब बात निकली है तो दूर तलक जाएगी।




Related Articles

Comments
  • No Comments...

Leave a Comment