
(गरियाबंद) नगरी एरिया कमेटी की सचिव और 8 लाख रूपये ईनामित महिला नक्सली जानसी ने परिवार सहित पुलिस अधीक्षक गरियाबंद के समक्ष किया आत्मसमर्पण
- 15-Sep-25 08:17 AM
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कन्हैया तिवारी
गरियाबंद , 15 सितम्बर (आरएनएस)। राज्य सरकार की नक्सल आत्मसमर्पण-पुनर्वास नीति तथा गरियाबंद पुलिस की सक्रिय जागरूकता व संवेदनशील अभियानों के प्रभाव से आज नगरी एरिया कमेटी की सचिव और 8 लाख रूपये ईनामित महिला नक्सली जानसी उर्फ वछेला मटामी (ग्राम कोंदावाही, थाना गट्टा, तहसील-धनोरा, जिला गढ़चिरौली, महाराष्ट्र) अपने परिवार के साथ आत्मसमर्पण कर चुकी हैं। उन्होंने जंगल में बिताए वर्षो के कड़वे अनुभव और स्थानीय लोगों के प्रति संगठन की आपराधिक गतिविधियों को देखते हुए यह निर्णायक कदम उठाया है।
नाम: जानसी उर्फ वछेला मटामी
मूल निवास: ग्राम कोंदावाही, थाना गट्टा, तहसील धनोरा, जिला गढ़चिरौली (महाराष्ट्र)
संगठनों में सक्रियता:
जुलाई 2005 – फरवरी 2006: जनमिलिशिया सदस्य
फरवरी 2006: माओवादी संगठन में भर्ती (चातगांव एलओएस कमाण्डर रनिता द्वारा)
जुलाई 2007: एलओएस में बदली कर गार्ड बनाया गया (नर्मदा/डीव्हीसीएम द्वारा)
सितम्बर 2007 – मार्च 2008: प्रेस/बैनर/पम्फलेट निर्माण प्रशिक्षण (माड क्षेत्र)
अप्रैल 2008 – 2011: गरियाबंद में प्रेस संबंधी कार्य (एसजेडसी-कार्तिक के साथ)
31 अक्तूबर 2011: विवाह (डीव्हीसीएम सत्यम गावडे) — साथ में जुलाई 2014 तक मैनपुर डिवीजन में कार्य
जुलाई 2014 – जुलाई 2018: नगरी एरिया कमेटी-एसीएम
जुलाई 2018 – जुलाई 2020: नगरी एरिया कमेटी-डिप्टी कमांडर
जुलाई 2020 – जुलाई 2022: नगरी एरिया कमेटी-कमांडर
जुलाई 2022 – अब तक: नगरी एरिया कमेटी-सचिव
ईनाम: 8,00,000 रूपये (सरकारी सूची के अनुसार)
आत्मसमर्पण का कारण (आवरण)
जानसी ने बताया कि पिछले वर्षों में संगठन की विचारधारा और कार्यप्रणाली उनसे घटती चली गई — निर्दोष ग्रामीणों की हत्याएँ, पुलिस-खुफिया के शक में लोगों का शोषण, विकास कार्यों में बाधाएँ, स्थानीय युवाओं व परिवारों को डराकर संगठन में जोडऩा, छोटे कैडरों का शोषण तथा ठेकेदारों से अवैध वसूली जैसी घटनाएँ उनकी अंतिम विवशता बन गईं। अपने पति के मुठभेड़ में शहीद हो जाने के बाद वे मानसिक रूप से प्रभावित रहीं, लेकिन शासन की समर्पण-पुनर्वास नीति तथा समर्पित साथियों के बेहतर जीवन ने उन्हें परिवार सहित वापस लौटने के लिए प्रेरित किया।
शासन व पुलिस की समर्पण-पुनर्वास सुविधाएँ (संक्षेप)
प्राप्त जानकारी के अनुसार समर्पण करने पर पदानुसार ईनाम राशि, हथियार के साथ समर्पण करने पर अतिरिक्त ईनाम, स्वास्थ्य सुविधाएँ, आवास एवं रोजगार संबंधी मदद जैसी व्यवस्थाएँ प्रावधान के अनुसार प्रदान की जाती हैं। गरियाबंद पुलिस द्वारा जंगल-गांवों में लगाये गए समर्पण जागरूकता पोस्टर एवं पम्फलेट भी इसी प्रक्रिया का हिस्सा रहे हैं।
अन्य आत्मसमर्पित साथियों के नाम (उल्लेखनीय)
आयतु, संजय, मल्लेश, मुरली, टिकेश, प्रमीला, लक्ष्मी, मैना, कांति, राजीव, ललिता, दिलीप, दीपक, मंजुला, सुनीता, कैलाश, रनिता, सुजीता, राजेन्द्र — ये साथी पहले ही समर्पण कर चुके हैं और पुनर्वास का लाभ उठा रहे हैं।
एसपी राखेचा ने कहा
आज का आत्मसमर्पण इस क्षेत्र के लिए एक सकारात्मक संकेत है। जिन बड़े नक्सलियों के खिलाफ सशक्त कार्रवाई हुई है, उनका प्रभाव अब कम हुआ है — और हम चाहते हैं कि इस क्षेत्र से कोई भी नया नक्सली न बने। आज जो महिला नक्सली (जानसी) ने समर्पण किया है, वह 2008-2015 की अवधि में सक्रिय रही और उसके पास 8 लाख का ईनाम था। हम अपील करते हैं कि बची हुई लगभग 25-30 नामांकित नक्सली भी जल्द आत्मसमर्पण कर लें और अपने परिवारों के पास लौट आयें। गरियाबंद पुलिस, प्रशासन और समर्पण-पुनर्वास योजनाएं उनके लिए तैयार हैं — हम उन्हें सुरक्षित वापसी और सम्मानजनक पुनर्वास दिलवाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
गरियाबंद पुलिस ने कहा है कि आत्मसमर्पण-पुनर्वास के माध्यम से हजारों लोगों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिला है और ऐसे में स्थानीय लोगों से अनुरोध है कि वे समर्पण के इस मार्ग को अपनाने वाले साथियों का सहयोग करें तथा किसी भी संदिग्ध गतिविधि की जानकारी नजदीकी पुलिस थाने को दें।
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