(महत्वपूर्ण) (रायपुर) सोसाइटियों में बियासी के लिए खाद लेने लगी किसानों की लंबी कतार
- 08-Jul-25 07:48 AM
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० खाद सहित उर्वरक के लिए किसानों को दिया गया बैंक द्वारा 18 सौ करोड़ का ऋण
० बोआई के बाद अब थरहा लगाने का काम अब हो रहा है तेजी से
रायपुर, 08 जुलाई (आरएनएस)। प्रदेश में हो रही वर्षा के पश्चात कृषि कार्य में तेजी आ गई है। रायपुर जिले में 60 प्रतिशत से अधिक बोआई हो गई है। वहीं थरहा लगाने का काम जोर पकड़ते जा रहा है। अब किसानों को डीएपी खाद की आवश्यकता महसूस हो रही है। जिसके लिए सहकारी समितियों में खाद लेने के लिए किसान उमड़ पड़ रहे हैं।
रायपुर केंदीय सहकारी बैंक एवं कृषि उपसंचालक से मिली जानकारी के अनुसार रायपुर जिले में कुल 1, 65 हजार कृषि भूमि है। यहां पर बोआई का काम अब शत प्रतिशत हो चुका है। जहां जहां थरहा लगाया गया था वहां अब खाद की आवश्यकता महसूस हो रही है। वर्षा के पश्चात ब्यासी का काम तेजी पकड़ेगा। रायपुर सहकारी बैंक के अंतर्गत रायपुर महासमुंद, बलौदाबाजार, गरियाबंद तथा धमतरी जिला आता है। यहां पर कुल 550 सहकारी समितियों के माध्यम से करीबी 3 लाख टन खाद का वितरण किया जाता है। अच्छी वर्षा होने के बाद अब कृषि कार्य तेजी पकड़ रहा है इसलिए किसान खाद की आवश्यकता महसूस कर रहे हैं। अधिकारियों के अनुसार गोदाम में डीएपी यूरिया, एमपी के खाद उपलब्ध है लेकिन डीएपी की खाद की डिमांड सबसे ज्यादा है। इसमें यूरिया तथा पोटाश सामान मात्रा में होता है। इसलिए इस खाद की आवश्यकता होती है। रायपुर केंद्रीय सहकारी बैंक 18 सौ करोड़ का लोन वितरीत करता है।
वैकल्पिक खाद का उपयोग करने की सलाह
कृषि विभाग ने किसानों को वैकल्पिक खाद का उपयोग करने की सलाह दी है। अधिकारियों के अनुसार डीएपी की आवक कम है जिसके कारण अन्य खाद का उपयोग करने की सलाह दी गई है। राज्य में कुल 17 लाख टन खाद की आवश्यकता होती है राज्य सरकार मार्कफेड के माध्यम से खाद उपलब्ध करा रही है। सरकार ने डीएपी की कमी को पूरा करने के लिए कई वैकल्पिक उर्वरकों की व्यवस्था की है जिसमें सुपर फास्फेट, और नैनों डीएपी है छग में अब तक 12.27 मीटरिन टन उर्वरक का भंडारण कर लिया गया है। खरीफ सीजन में किसानों को पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो सके। छग राज्य में खरीफ सीजन में कुद 14 लाख मीटरिक टन धान का लक्ष्य निर्धारित कर जिसके एवज में यूरिया सात लाख डीएपी 3 लाख तथा एमपी के 10 लाख टन का भंडारण किया गया है। डीएपी की कमी की चलते हुए वेकल्पिक खाद के रूप में एमपी के एसएपी का उपयोग करने की सलाह दी गई है। किसानों को इसकी जानकारी दी गई है। अप्रैल माह पाम्पलेट के माध्यम से उर्वरकों के प्रचार प्रसार का काम किया गया है।
आर शर्मा
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