(रायपुर) आरटीई मामले में जनहित याचिका सुनवाई में शिक्षा सचिव की अनुपस्थिति पर हाईकोर्ट ने जताई नाराजगी

  • 19-Sep-25 06:58 AM

० सुनवाई की अगली पेशी 17 अक्टूबर को
रायपुर, 19 सितबंर (आरएनएस )। शिक्षा का अधिकार आरटीई मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। उक्त याचिका भिलाई निवासी सामाजिक कार्यकर्ता भगवंत राव के अधिवक्ता देवर्षी ठाकुर के माध्यम से दायर की गई है। सुनवाई के दौरान बिना किसी ठोस कारण के शिक्षा सचिव छग शासन की अनुपस्थिति पर नाराजगी जाहिर करते हुए हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा के डिवीजन बेंच ने कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि शिक्षा सचिव हाईकोर्ट को मजाक में न लें। अगली सुनवाई 17 अक्टूबर को है जिसमें हाईकोर्ट ने शिक्षा सचिव को निर्देशित करते हुए शपथ पत्र प्रस्तुत कर यह बताने का आदेश दिया है कि आरटीई मामलों में गड़बड़ी करने वालों के खिलाफ अब तक क्या कार्रवाई की गई है।
गौरतलब है कि कुछ निजी स्कूलों द्वारा आरटीई (शिक्षा का अधिकार)  कानून के तहत निर्धन परिवार के बच्चों को स्कूलों में प्रवेश न देकर आर्थिक रूप से सक्षम परिवार के बच्चों को एडमिशन दिया गया है। याचिकाकर्ता के अनुसार गरीब बच्चों की सीट पर सक्षम परिवार के लोगों ने कब्जा किया है वहीं पीपी वन केजी नर्सरी गली गली खुलने वाले स्कूलों पर भी याचिकाकर्ता ने बिना सोचे समझे शासन द्वारा मान्यता दिये जाने पर संबद्ध अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग अपनी याचिका के माध्यम से हाईकोर्ट से की है। ज्ञात हो कि योजना के पात्र हितग्राहियों की अनदेखी की जा रही है। अनदेखी पर हाईकोर्ट ने गंभीरता से चिंतन करते हुए नियमों और शर्तों का पालन क्यों नहीं किया जा रहा है यह शिक्षा विभाग के प्रमुख अधिकारियों से पूछा है। शासन को स्पष्ट चेतावनी देते हुए चीफ जस्टिस ने कहा कि आरटीई कानून के तहत जब केंद्र सरकार द्वारा निर्धन परिवार के बच्चों को भी पढऩे का अधिकार दिया गया है तो निजी स्कूल संचालक कानून का मखौल नहीं उड़ा सकते। छग शासन के शिक्षा विभाग के सचिव एवं प्रमुख सचिव को हाईकोर्ट को यह बताना होगा कि अब तक कितने निजी स्कूल संचालन के खिलाफ दोषी पाये जाने पर उनकी मान्यता समाप्त करने से संबद्ध कार्रवाई की गई है। बड़े स्कूलों के प्रबंधनों के खिलाफ भी आरटीई नियम का  उल्लंघन करने पर हाईकोर्ट सख्त कार्रवाई करेगा।
संदीप००००

 




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