
(रायपुर) गेवरा का दबदबा रहा बरकरार, एसईसीएल ने किया 100 मिलियन टन कोयले का डिस्पैच
- 07-Nov-23 07:44 AM
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रायपुर, 07 नवंबर (आरएनएस)। कोयला उत्पादन और डिस्पैच के क्षेत्र में गेवरा का दबदबा बरकरार है. इस खदान की बदौलत एसईसीएल ने 100 मिलियन टन से अधिक कोयले का डिस्पैच कर लिया है, जो अभी तक का सबसे बड़ा डिस्पैच है.
एसईसीएल को इस मुकाम पर पहुंचाने में कोरबा जिले में स्थित मेगा प्रोजेक्ट गेवरा का बेहद महत्वपूर्ण योगदान रहा है. गेवरा ने डिस्पैच में 30 मिलियन टन का योगदान दिया है. इस उपलब्धि से एसईसीएल का कद कोल इंडिया की सहयोगी कंपनियों में बढ़ गया है. गेवरा की भी कोल कंपनियों में प्रशंसा की जा रही है.
एसईसीएल की ओर बताया गया है कि कोल इंडिया की सहायक कंपनी साउथ इस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए 100 मिलियन टन (एमटी) कोयला डिस्पैच के लक्ष्य को हासिल किया है. यह छत्तीसगढ़ में एसईसीएल का सबसे अच्छा प्रदर्शन है. यह पहला मौका है जब कंपनी ने अपनी स्थापना के बाद सबसे पहले 100 मीट्रिक टन कोयला डिस्पैच के लक्ष्य को हासिल किया है. पिछले साल, एसईसीएल ने इसी अवधि में लगभग 85 मिलियन टन कोयले का डिस्पैच किया था और इस प्रकार इस वित्तीय वर्ष के दौरान कंपनी ने 17.65 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है.
एसईसीएल, कोल इंडिया की सबसे बड़ी कोयला उत्पादक सहायक कंपनियों में से है. कंपनी ने 167 मिलियन टन कोयले का उत्पादन किया है और वित्तीय वर्ष 22-23 में सीआईएल के कुल कोयला उत्पादन में इसकी हिस्सेदारी करीब -चौथाई रही. इस साल कंपनी ने 197 मिलियन टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य रखा है.
ताप विद्युत संयंत्रों के स्तर पर, कोयले के भंडार के रुझान में पहले जो कमी दिख रही थी उसमें अब पिछले 10 दिनों के दौरान वृद्धि का रुझान दिखाई दे रहा है. ताप विद्युत संयंत्रों के मामले में कोयले की आपूर्ति खपत से अधिक है. कुल मिलाकर, ताप विद्युत संयंत्रों (सेंट्रल जेनकोस, स्टेट जेनकोस, आदि सहित) के स्टॉक में वृद्धि हुई है. आम तौर पर, पहली छमाही में कोयले का उत्पादन और परिवहन कम होता है क्योंकि वर्ष की पहली छमाही में मुख्य रूप से गर्मी होती है और उसके बाद मानसून आता है. मानसून के बाद, उत्पादन और परिवहन की स्थिति अनुकूल होती है और दूसरी छमाही में कोयले की आपूर्ति खपत से अधिक होती है. इसलिए, वर्ष की दूसरी छमाही के दौरान, विद्युत संयंत्रों और खदानों में कोयले का भंडार बढ़ गया है।
त्रिपाठी
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