(रायपुर)170 से अधिक बोगस फर्म बनाकर की जीएसटी चोरी, 1.64 करोड़ कैश और 400 ग्राम सोना जब्त

  • 20-Sep-25 08:15 AM

० छत्तीसगढ़ जीएसटी विभाग ने की कार्रवाई
रायपुर, 20 सितम्बर (आरएनएस)। छत्तीसगढ़ में करोड़ों की जीएसटी चोरी का पर्दाफाश हुआ है। यहां 170 से अधिक बोगस फर्म बनाकर जीएसटी की चोरी की जा रही थी। मामले में 1.64 करोड़ कैश और 400 ग्राम सोना जब्त किया गया है। छत्तीसगढ़ जीएसटी विभाग ने जीएसटी एनालिटिक्स और इंटेलिजेंस नेटवर्क और जीएसटी प्राइम पोर्टल का उपयोग करके बोगस फर्म और बोगस बिल तैयार करने वाले सिंडिकेट का खुलासा किया है।
इस मामले का मास्टर माइंड मोहम्मद फरहान सोरठिया है, जो जीएसटी के कर सलाहकार के रूप में कार्य करता था। इस सिंडिकेट की वजह से राज्य को हर महिने करोड़ों रुपये के कर राजस्व का नुकसान होता था। मो. फरहान के बोगस फर्मों से संबंधित दस्तावेज छुपाये जाने की सूचना पर विभाग ने 17 सितंबर को फरहान के चाचा मो. अब्दुल लतीफ सोरठिया के आवास में सर्च (जांच) किया गया। वहां अधिकारियों को 1 करोड़ 64 लाख रुपये के नोट और 400 ग्राम सोने के 4 बिस्किट मिले। विभाग के अधिकारियों ने इसे जब्त कर के आयकर विभाग को सूचना दे दी है।
जीएसटी फ्रॉड से मिली राशि की हो रही काउंटिंग
जीएसटी इन फर्मों से करोड़ों रुपए के जीएसटी फ्रॉड की राशि की गणना कर रही है। इस प्रकरण में कई ब्रोकर, स्क्रैप डीलर और इनपुट टैक्स क्रेडिट के लाभ लेने वाली कम्पनियाँ भी विभाग के जांच के दायरे में है। राज्य कर विभाग मामले की
जांच कर रहा है।
एक महिने से काम कर रही थी टीम
राज्य जीएसटी की बीआईयू टीम इस प्रकरण पर एक महिने से कार्य कर रही थी। मास्टर माइंड मो. फरहान सोरठिया के ऑफिस में 12 सितंबर को जांच की गयी। जांच के दौरान यहां से 172 फर्मों के बारे में जानकारियां मिली। फरहान ने अपने पांच ऑफिस स्टॉफ को फर्मों का पंजीयन कराने, रिटर्न फाइल करने और ई-वे बिल तैयार करने के लिये रखा था। इसके अलावा मास्टरमाइंड के आफिस से बोगस पंजीयन के लिये किरायानामा, सहमति पत्र, एफिडेविट तैयार करने के भी साक्ष्य मिले हैं।
26 बोगस फर्मों से ही 822 करोड़ का ई-वे बिल जनरेट
26 बोगस फर्मों से ही 822 करोड़ का ई-वे बिल जनरेट किया गया, जबकि रिटर्न में 106 करोड रुपये का ही टर्नओव्हर दिखाया गया है। केवल इन फर्मों से ही राज्य को 100 करोड़ रुपये के जीएसटी का नुकसान होने का प्रारंभिक आंकलन है। यहां से प्राप्त दस्तावेजों के अनुसार, राज्य के भीतर और पंजाब, असम, मणिपुर, ओडिसा में भी पंजीयन लिया गया है। पंजीयन के लिए बोगस दस्तावेज जैसे किरायानामा एवं सहमति पत्र भी तैयार किये जाते थे। इन फर्मों के माध्यम से बोगस सप्लाई बिल और ई-वे बिल जारी किए जा रहे थे।
एसएस
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