18 नवंबर कमलनाथ की जन्मदिन पर विशेष

  • 18-Nov-24 12:00 AM

अंतिम सांस छिंदवाड़ा की सेवा करते रहूंगा: कमलनाथगोविंद चौरसियापूर्व केन्द्रीय मंत्री, पूर्व मुख्यमंत्री एवं वर्तमान में छिंदवाड़ा विधानसभा के विधायक कमलनाथ आज 18 नवंबर को 78 वर्ष के हो गये।परिवर्तन प्रकृति का नियम है समय के अनुसार सब बदलता है, कमलनाथ ने अपने 78 वर्ष में कितने बदलाव देखे है वे ही जानते है किन्तु 1980 से अभी तक के बदलाव हम देख रहे है।कमलनाथ ऐसे नेता रहे है जिनकी पत्नी श्रीमती अलकानाथ एवं पुत्र नकुलनाथ भी सांसद रहे है। परिवार से तीनों सांसद एवं वे मुख्यमंत्री भी रहे है।कमलनाथ इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी के बाल सखा थे वे उनके साथ पढे, 1977 में जब पूरे देश में कांग्रेस का सफाया हो गया था तब देश में कांग्रेस की मात्र दो सीट ही जीती थी जिसमें एक राजस्थान से और दूसरी छिंदवाड़ा से, कांग्रेस के लिये यह सबसे सुरक्षित सीट थी, 1977 में नागपुर के गार्गी शंकर यहा से सांसद चुने गये तब पूरे देश में छिंदवाड़ा का नाम आया।1980 में लोकसभा के चुनाव में सबसे सुरक्षित सीट होने के नाते संजय गांधी ने इंदिरा गांधी पर दबाव डाला और कमलनाथ को छिंदवाड़ा से चुनाव लड़ानेकी बात कही।कहते है कि इंदिरा गांधी गार्गी शंकर को छिंदवाड़ा से हटाने के लिए तैयार नही थी, किन्तु बाद में गार्गीशंकर को सिवनी से और कमलनाथ को छिंदवाड़ा से लोकसभा चुनाव लड़ाने की बात आई और कमलनाथ छिंदवाड़ा से कांग्रेस के प्रत्याशी बने।कमलनाथ युवा एवं नये थे, इंदिरा गांधी उनके चुनाव में प्रचार करने आई और उन्होने कहा कि कमलनाथ मेरे तीसरे बेटे है आप इन्हें जिताईये और विकास की मेरी गारंटी रहेगी।1980 में इंदिरा गांधी पुन: सत्ता में आई संजय गांधी के कारण कमलनाथ काफी पावर फुल नेता थे। 1979 में उनके चुनाव में कई केन्द्रीय नेता चुनाव प्रचार में आये राज्य की ओर से अर्जुनसिंह एंव उनकी पत्नि श्रीमती सरोज सिंह ने कई दिनों तक छिंदवाड़ा में कैम्प किया।कमलनाथ चुनाव जीत गये, प्रदेश में भी कांग्रेस की सरकार बनी, आदिवासी नेता शिवभानु सोलंकी का नाम मुख्यमंत्री के लिए चल रहा था, किन्तु कमलनाथ ने अपने विधायको के साथ अर्जुनसिंह को समर्थन दिया और अर्जुनसिंह प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गये।अर्जुनसिंह के मुख्यमंत्री बनने से कमलनाथ प्रदेश में पावर फुल हो गये, उन्होने अपने प्रभाव से जिले के चार विधायक को मंत्री बनवाया।1980 में कमलनाथ ने कन्हरगांव परियोजना का अर्जुनसिंह के साथ भूमिपूजन किया, कन्हरगांव पेयजल परियोजना के कारण आज छिंदवाड़ा को पेयजल मिल रहा है।केन्द्र एवं राज्य सरकार में पावर फुल नेता थे।वे छिंदवाड़ा में संजय गांधी को लाना चाहते थे, उसके लिए उन्होने ईमलीखेड़ा में हवाई पट्टी बनवाई, किन्तु दुर्भाग्य से संजय गांधी का विमान दुर्घटना में निधन हो गया और संजय गांधी छिंदवाड़ा नहीं आ पाये।छिंदवाड़ा-नागपुर नैनपुर-परासिया बड़ी लाईन बनाने के लिए कमलनाथ ने इंदिरा गांधी पर दबाव डलवाया किन्तु अफसरों ने लागत ज्यादा आयेगी कहकर उसे टाल दिया। किन्तु छिंदवाड़ा से परासिया लाईन उन्होने बनवा ली।कमलनाथ को जिले की जनता ने जो सपोर्ट किया, उससे वे काफी प्रभावित थे और छिंदवाड़ा का वे तेजी से विकास चाहते थे। जिले में सड़के, पानी,बिजली की उपलब्धियां है वह कमलनाथ के साथ में जाती है।वे 1980 के बाद लगातार चुनाव जीतते रहे 1997 में प्रधानमंत्री नरसिंम्हा राव ने उन्हे टिकट नहीं दिया तो उनकी पत्नि श्रीमती अलका नाथ चुनाव लड़ी और जीत गई।किन्तु वे ज्यादा समय तक सांसद नही रही, कमलनाथ ने उनसे इस्तिफा दिलवाकर उपचुनाव लड़ा और सुन्दरलाल पटवा ने उन्हें उपचुनाव में हरा दिया जो जिले के लिए ऐतिहासिक घटना थी, किन्तु मुख्य चुनाव में कमलनाथ पुन: जीत गये प्रदेश में अर्जुनसिंह के बाद मोतीलाल बोरा और और दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री रहे तो उनका दबाव वैसा ही था।कमलनाथ की मर्जी से जिले में एस.पी.एवं कलेक्टर की नियुक्ति होती थी, चपरासी का स्थानांतरण भी कमलनाथ की बगैर मर्जी के नहीं होता था।कमलनाथ ने युवाओं के लिए छिंदवाड़ा में स्कील डेवलपमेन्ट पर बहुत काम किया, उनके लिए एन.आई.आई.टी जैसी संस्थायें खुलवाई जिससे हजारों युवाओं को रोजगार मिला, उन्होने हजारों युवाओं को नौकरी भी लगवाई एवं अभी भी हजारों छात्रों को उच्चशिक्षा के लिए फीस देते है। जिससे बच्चे इंजीनियरिंग एंव उच्चशिक्षा प्राप्त कर सकें।2014 में मोदी प्रधानमंत्री बने और प्रदेश में शिवराजसिंह की सरकार थी, दोनों सरकारों से अच्छे संबंध होने के कारण छिंदवाड़ा में योजनाओं के लाते थे। जब वे केन्द्रीय सड़क मंत्री थे तब उन्होने छिंदवाड़ा की रिंग रोड केलिए केन्द्र का पूरा बजट छिंदवाड़ा को ही दे दिया और छिंदवाड़ा में रिंग रोड बनी।पिछले विधानसभा में चुनाव में कमलनाथ की सरकार बनी और वे मुख्यमंत्री बने और उन्होने प्रदेश का बजट छिंदवाड़ा को दे दिया, मेडिकल कॉलेज, सिंचाई काम्पलेक्स, हवाई अड्डा, कृषि कॉलेज एंव अन्य कई योजनायें उन्होने छिंदवाड़ा में लाई किन्तु उनकी सरकार नहीं चली, वे मुख्यमंत्री पद से हटाये गये, भाजपा की सरकार आई और उन्होने कमलनाथ की सभी योजनायें को रोक दिया।विधानसभा में भाजपा की सरकार बनी शिवराज के बाद डॉ. मोहन यादव मुख्यमंत्री बने ।फिर लोकसभा चुनाव आ गये कमलनाथ ने सांसद पुत्र नकुलनाथ को छिंदवाड़ा लोकसभा से उतारा, प्रदेश में भाजपा की सरकार थी, अत: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव एवं कैलाश विजय वर्गीय एवं अन्य लोगों ने मेहनत की और नकुलनाथ चुनाव हार गये और भाजपा से पहली बार छिंदवाड़ा का ही बेटा विवेक बंटी साहू सांसद बना।इस चुनाव के पहले राहुल गांधी ने कमलनाथ को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटवा दिया वे मात्र छिंदवाड़ा के विधायक रह गये। वे राजनैतिक से कमजोर हो गये। उनके अपने खास दीपक सक्सेना ने कमलनाथ का साथ छोड़ दिया और वे अपने दलबल के साथ भाजपा में शामिल हो गये। उन्हें इन सब बातों का झटका लगा, भाजपा आक्रमक थी और चुनाव में कमलनाथ कमजोर हो गये, कांग्रेस के बहुत से लोग नकुलनाथ को पसन्द नही करते थे, उससे ज्यादा कमलनाथ को उनके कर्मचारियों से झटका मिला, कांग्रेस के लोग उनसे नाराज थे, कमलनाथ उसे समझ नही पाये। कमलनाथ हनुमान भक्त है उन्होने सिमरिया में हनुमान मंदिर बनवाया जो जिले की ऐतिहासिक विरासत है।लोकसभा चुनाव के पहले उन्होने प्रदीप मिश्रा एवं धीरेन्द्र शास्त्री चुनाव की कथा कराई थी और 4.32 करोड रामनाम भी लिखवाये थे।कमलनाथ सह्रदय है पिछले 44 वर्षो में उन्होने जतना के साथ हां ही कहा है नहीं उनके शब्दकोष में नही है। जनता के विकास की उन्होने चिन्ता की है, विकास के लिए उन्होने अपने पावर का उपयोग किया।सभी को बढ़ती उम्र का सामना करना पड़ता है, कमलनाथ भी 78 वर्ष के हो गये वे अपनी विरासत आपने पुत्र नकुलनाथ को देना चाहते है वे कहते है कि अन्तिम सांस तक छिंदवाड़ा के साथ रहूंगा।निश्चित कुछ लोग सामान्य जीवन जीते है किन्तु कमलनाथ के जीवन में जो उतार-चढाव आया है वह सबने देखा हेै। छिंदवाड़ा के लिए उन्होने जितना किया उतना ही और कोई सांसद कर पाता कमलनाथ की पार्टी बदलने की चर्चाओं को लेकर उन्होंने कहा कि पार्टी नहीं बदलेंगे और अंतिम समय तक छिंदवाड़ा की सेवा करते रहेंगे कमलनाथ के जन्मदिन पर उन्हें बधाई मैं स्वस्थ रहें और शतायु हो ।




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