PM मोदी का छठ को वैश्विक पहचान दिलाने का संकल्प, गांधी जयंती पर की ‘स्वदेशी’ अपनाने की अपील

  • 28-Sep-25 07:36 AM

नई दिल्ली 28 Sep, (Rns): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 126वें एपिसोड के जरिए देश को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने भारत के महापर्व छठ को यूनेस्को (UNESCO) की सूची में शामिल कराने के संकल्प से लेकर गांधी जयंती पर खादी और स्वदेशी उत्पादों को अपनाने का आह्वान किया। साथ ही, उन्होंने नारी शक्ति के पराक्रम और आत्मनिर्भर भारत की प्रेरक कहानियों की भी सराहना की।

पीएम मोदी ने इस बात पर खुशी जताई कि भारत सरकार अब छठ महापर्व को UNESCO की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची (Intangible Cultural Heritage List) में शामिल कराने के लिए प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा, “जब छठ पूजा को यूनेस्को की सूची में जगह मिल जाएगी, तो दुनिया के कोने-कोने में लोग इसकी भव्यता और दिव्यता का अनुभव कर पाएंगे।” पीएम ने याद दिलाया कि सरकार के ऐसे ही प्रयासों से कुछ समय पहले कोलकाता की दुर्गा पूजा को भी यह वैश्विक सम्मान प्राप्त हुआ था। उन्होंने कहा कि छठ अब केवल देश का ही नहीं, बल्कि एक वैश्विक त्योहार बन रहा है।

प्रधानमंत्री ने ‘स्वर कोकिला’ लता मंगेशकर को उनकी जयंती पर भावभीनी श्रद्धांजलि देते हुए उन्हें याद किया। उन्होंने कहा कि लता दीदी के देशभक्ति गीत आज भी प्रेरणा देते हैं और वह हर साल उन्हें राखी भेजना कभी नहीं भूलती थीं। इसी क्रम में उन्होंने 2 अक्टूबर, गांधी जयंती का जिक्र करते हुए देशवासियों से ‘स्वदेशी’ और खादी अपनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “पिछले 11 सालों में खादी की बिक्री में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। मैं आप सभी से अपील करता हूं कि 2 अक्टूबर को कुछ न कुछ खादी उत्पाद जरूर खरीदें और #VocalforLocal के साथ सोशल मीडिया पर गर्व से शेयर करें।”

पीएम मोदी ने भारतीय नौसेना की दो महिला अधिकारियों, लेफ्टिनेंट कमांडर दिलना और लेफ्टिनेंट कमांडर रूपा की ‘नाविका सागर परिक्रमा’ के दौरान दिखाए गए अदम्य साहस की प्रशंसा की। इसके अलावा, उन्होंने देश के उन उद्यमियों की कहानियां भी साझा कीं जो परंपरा और इनोवेशन को मिलाकर आत्मनिर्भर भारत की नई गाथा लिख रहे हैं।

उन्होंने बताया कि कैसे अशोक जगदीसन और प्रेम सेल्वराज ने कॉर्पोरेट नौकरी छोड़कर केले के रेशों से योगा मैट बनाए और 200 परिवारों को रोजगार दिया। वहीं, आशीष सत्यव्रत साहू ने ‘जोहरग्राम’ ब्रांड के जरिए आदिवासी वस्त्रों को वैश्विक मंच तक पहुंचाया है, और मधुबनी की स्वीटी कुमारी ने मिथिला पेंटिंग के माध्यम से 500 से अधिक ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया है।




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