ऐसा लग रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार को आधी रात तक या उसके बाद भी संसद चलाने का चस्का लग गया है। बहुत पहले आधी रात को संसद का सत्र बुला कर वस्तु व सेवा कर यानी जीएसटी कानून पास किया गया था। यह 2017 की बात है। उसके बाद इस साल यानी 2025 में सरकार ने कम से कम तीन दिन आधी रात के बाद तक चर्चा कराई और विधेयक पास किए। ताजा मामला महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना यानी मनरेगा की जगह विकसित भारत जी राम जी बिल का है। संसद में इसे सरकार ने अचानक मंगलवार को पेश कर दिया। विपक्ष इसके लिए तैयार नहीं था। उसे अंदाजा ही नहीं था कि सरकार इस तरह का बिल ला रही है। तभी बिल पेश होने के बाद विपक्ष ने इसे संसदीय समिति को भेजने को कहा। जब सरकार तैयार नहीं हुई तो एक दिन बाद बुधवार को इस पर चर्चा की मांग हुई, जिसे स्वीकार कर लिया गया।
बुधवार को भी सरकार ने पहले परमाणु ऊर्जा बिल पेश कर दिया, जिस पर साढ़े पांच बजे तक चर्चा हुई और पास किया गया। उसके बाद शाम पांच बज कर 40 मिनट पर जी राम जी बिल पर चर्चा शुरू हुई, जो रात दो बजे तक चली। अगले दिन गुरुवार को दिन में कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस पर जवाब दिया और बिल पास किया गया। पास होने के तुरंत बाद इसे राज्यसभा में पेश किया गया और वहां भी चर्चा शुरू हुई, जो रात 12 बजे तक चली। 12 बजे से कुछ मिनट बाद इसे राज्यसभा ने पास किया।
इससे पहले संसद के बजट सत्र के दूसरे हिस्से में दो अप्रैल को वक्फ बिल पर आधी रात के बाद वोटिंग हुई। इस बिल पर रात दो बजे तक चर्चा हुई और उसके बाद इस बिल को पास किया गया। इतना ही नहीं दो बजे वक्फ बिल पास होने के बाद मणिपुर में राष्ट्रपति शासन को मंजूरी देने वाला प्रस्ताव पेश किया गया। उस पर आधे घंटे की चर्चा हुई और फिर 10 मिनट केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जवाब दिया और तब बिल को तीन बजे के करीब पास किया गया। विपक्ष का कहना है कि सरकार ने शीतकालीन सत्र छोटा ही रखा फिर भी 15 बैठकें थीं। वह पहले भी बिल ला सकती थी। लेकिन जान बूझकर देर से बिल लाया गया और हड़बड़ी में चर्चा करके इसे पास कराया गया।

