= गौतम अदाणी ने इंडोलॉजी मिशन को 100 करोड़ रुपये देने की घोषणा की=
अहमदाबाद, 21 नवंबर (आर एन एस): अदाणी ग्लोबल इंडोलॉजी कॉन्क्लेव के उद्घाटन समारोह में अदाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अदाणी ने भारत नॉलेज ग्राफ निर्माण के लिए एक ऐतिहासिक प्रतिबद्धता की घोषणा की, यह एक अद्वितीय डिजिटल ढांचा होगा, जो एआई के युग में भारत के सभ्यतागत ज्ञान को संरक्षित, संरचित और ‘फ्यूचर-प्रूफ’ करेगा।
अदाणी ग्रुप ने शिक्षा मंत्रालय के इंडियन नॉलेज सिस्टम (आईकेएस) के साथ मिलकर तीन दिवसीय ग्लोबल इंडोलॉजी कॉन्क्लेव आयोजित कर रहा है जिसका उद्देश्य इंडोलॉजी यानि भारत की सभ्यता, भाषा, दर्शन, विज्ञान और सांस्कृतिक विरासत के वैश्विक अकादमिक अध्ययन को पुनर्जीवित करना है।
कार्यक्रम के दौरान गौतम अदाणी ने कहा, “एक शुरुआत के तौर पर मैं भारत नॉलेज ग्राफ के निर्माण और इस इंडोलॉजी मिशन में योगदान देने वाले विद्वानों और तकनीकी विशेषज्ञों के समर्थन के लिए 100 करोड़ रुपये के संस्थापक योगदान की घोषणा करते हुए विनम्र महसूस कर रहा हूँ। यह एक सभ्यतागत ऋण की अदायगी है।”
कॉन्क्लेव के अतिथि विशेष थे जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी, ज्योतिर मठ के 46वें शंकराचार्य जिनकी आध्यात्मिक परंपरा आदि शंकराचार्य तक निर्बाध रूप से चली आती है।
शंकराचार्य ने अपने संबोधन में कहा, “जब मैंने शंकराचार्य का पद संभाला था तब मैंने कहा था कि मेरी भूमिका तभी सार्थक होगी जब भारत विश्वगुरु बनेगा और आज गौतम अदाणी जी की यह पहल मेरे उसी स्वप्न को साकार करने में एक बड़ा सहयोग है।”
यह ग्लोबल इंडोलॉजी कॉन्क्लेव 20 से 22 नवंबर 2025 तक अहमदाबाद स्थित अदाणी कॉरपोरेट हाउस (एसीएच) में आयोजित हो रहा है। ऐसे समय में जब दुनिया भर में इंडोलॉजी विभाग सिमट रहे हैं यह पहल भारत के ज्ञान-तंत्र के स्वामित्व को पुनः स्थापित करने और उसे प्रामाणिक, शोध-आधारित भारतीय दृष्टिकोण से दुनिया के सामने प्रस्तुत करने का प्रयास है।
गौतम अदाणी ने कहा, “यदि कोई सभ्यता अपने सांस्कृतिक और भावनात्मक ढांचों की सक्रिय रूप से रक्षा नहीं करती तो वह मानव संस्कृति या परंपरा की ओर नहीं बल्कि मशीन के एल्गोरिद्म की कमजोर तर्क-प्रणाली की ओर झुकने लगती है। यह बदलाव मौन होगा, और इस बात को प्रभावित करेगा कि हम अपने देश को कैसे महसूस करते हैं कैसे सीखते और कैसे विश्लेषित करते हैं।”
यह साझेदारी अदाणी ग्रुप की राष्ट्र-निर्माण के प्रति दूर तक की प्रतिबद्धता को आईकेएस के उस मैंडेट के साथ भी जोड़ती है जिसके तहत भारत के पारंपरिक ज्ञान-तंत्र को समकालीन शिक्षा से जोड़ा जा रहा है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत स्थापित आईकेएस, प्राचीन भारतीय ज्ञान को विभिन्न विषयों में मुख्यधारा में लाने, ग्रंथों एवं प्रथाओं के संरक्षण और इंजीनियरिंग, पर्यावरण विज्ञान, भाषाविज्ञान, पॉलिसी और स्वास्थ्य सेवा जैसे आधुनिक क्षेत्रों में उसके व्यावहारिक उपयोग को बढ़ावा देता है।
इंडोलॉजी ने सदियों से भाषा विज्ञान, खगोल विज्ञान, गणित, शासन, साहित्य और स्वास्थ्य-विज्ञान जैसे क्षेत्रों में भारत के वैश्विक अध्ययन को आकार दिया है। लेकिन दशकों से घटते संस्थागत समर्थन ने इसके अकादमिक विस्तार को कमजोर किया है। इस चुनौती से निपटने के लिए अदाणी ग्रुप और IKS ने देशभर के प्रमुख संस्थानों में 14 पीएचडी स्कॉलर्स को समर्थन देने के लिए पाँच वर्ष का कार्यक्रम शुरू किया है। इनका रिसर्च पाणिनीय व्याकरण और कम्प्यूटेशनल लिंग्विस्टिक्स, प्राचीन खगोलिक प्रणालियों, स्वदेशी स्वास्थ्य-ढांचों, पारंपरिक इंजीनियरिंग की स्थिरता-नीतियों, राजनीतिक दर्शन, विरासत अध्ययन और शास्त्रीय साहित्य जैसे विषयों को कवर करेगा।
ये विद्वान आईआईटी, आईआईएम, आईकेएस-केंद्रित विश्वविद्यालयों और प्रमुख विद्वानों की भागीदारी वाले कठोर राष्ट्रीय परामर्श के बाद चुने गए हैं। डेटा साइंस, सिस्टम्स थिंकिंग और मल्टीमॉडल आर्काइविंग जैसे आधुनिक उपकरणों के साथ शास्त्रीय ज्ञान को जोड़कर यह कार्यक्रम इंडोलॉजी को समकालीन अकादमिक विमर्श और वैश्विक शोध में प्रासंगिक बनाने का लक्ष्य रखता है।
वसुधैव कुटुंबकम् अर्थात “पूरा विश्व एक परिवार” की भावना पर आधारित यह पहल भारत की सॉफ्ट पावर और सभ्यतागत नेतृत्व को सुदृढ़ करने के प्रति अदाणी ग्रुप की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

