0-आईटीआरएचडी ने भारत की असुरक्षित ग्रामीण बौद्ध विरासत के संरक्षण और पुनर्जीवन के लिए विश्व के पहले विशेष अकादमी की रूपरेखा प्रस्तुत की
नई दिल्ली, 21 नवंबर (आरएनएस)। इंडियन ट्रस्ट फ़ॉर रूरल हेरिटेज एंड डेवलपमेंट (आईटीआरएचडी), जिसकी स्थापना 2010 में हुई थी, ने 21 नवंबर 2025, शुक्रवार को वर्ल्ड वाइड फ़ंड फ़ॉर नेचर-इंडिया, नई दिल्ली में आगामी इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस ऑन प्रिज़र्वेशन ऑफ़ रूरल बौद्ध हेरिटेज की प्रस्तावना के रूप में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया। यह सम्मेलन 28-30 नवंबर 2025 को डॉ. अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर, नई दिल्ली में आयोजित होगा। पीआरबीएच का उद्देश्य भारत की असुरक्षित ग्रामीण बौद्ध विरासत को संरक्षित करने और विरासत संरक्षण को सतत् ग्रामीण विकास के साथ जोड़ते हुए वैश्विक संवाद को बढ़ावा देना है।
आईटीआरएचडी ने सम्मेलन के उद्देश्यों, अंतरराष्ट्रीय वक्ताओं की प्रतिष्ठित सूची और आंध्र प्रदेश के नागार्जुनकोंडा में प्रस्तावित अकादमी फॉर रूरल हेरिटेज कंज़र्वेशन एंड डेवलपमेंट ट्रेनिंग की दृष्टि साझा की। यह अकादमी विश्व का पहला ऐसा संस्थान होगा जो विशेष रूप से असुरक्षित ग्रामीण बौद्ध विरासत स्थलों के संरक्षण, पुनर्स्थापन और सतत् विकास पर केंद्रित होगा—जहाँ संरक्षण कार्यस्थल स्थानीय समुदायों के सशक्तिकरण और आजीविका-सृजन से जुड़ा होगा। इस अवसर पर आईटीआरएचडी के चेयरमैन और इस पहल के प्रेरक, एस. के. मिश्रा ने कहा कि हमारा उद्देश्य केवल भारत की बौद्ध विरासत के भौतिक अवशेषों का संरक्षण भर नहीं है, बल्कि उन ग्रामीण समुदायों को पुनर्जीवित करना भी है जो सदियों से इस धरोहर के संरक्षक रहे हैं। प्रस्तावित अकादमी शोध, शिक्षण और फील्ड-आधारित प्रशिक्षण का एक वैश्विक केंद्र बनेगी, जहाँ संरक्षण और प्रगति साथ-साथ चलेंगे। इस दौरान इंटरनेशनल बौद्ध कॉन्फेडरेशन, स्कूल ऑफ़ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर, गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्रतिनिधियों ने आईटीआरएचडी नेतृत्व के साथ मीडिया को संबोधित किया। उन्होंने भारत की विशाल और उपेक्षित ग्रामीण बौद्ध विरासत के संरक्षण की तात्कालिक आवश्यकता पर बल दिया, और इस विरासत को समावेशी ग्रामीण विकास से जोडऩे के महत्व को रेखांकित किया।
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