लखनऊ 26 दिसंबर (आरएनएस )। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भाजपा पर तीखा हमला करते हुए कहा कि भाजपा शासन में आम लोगों को ‘बाटी-चोखाÓ तक नसीब नहीं, बल्कि हर स्तर पर केवल ‘माटी-धोखाÓ ही दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अब बात केवल ‘हाता नहीं भाताÓ तक सीमित नहीं रही, बल्कि उपेक्षा से आगे बढ़कर तिरस्कार तक पहुंच चुकी है। जब किसी समाज को लगातार अपमानित किया जाता है तो वह स्थिति किसी भी स्वाभिमानी समाज के लिए असहनीय हो जाती है।अखिलेश यादव ने कहा कि जब किसी समाज के सामने केवल दो ही विकल्प बचते हैं—सत्ता या मान-सम्मान—तो स्वाभिमानी समाज हमेशा मान-सम्मान को ही चुनता है। यह बात किसी एक वर्ग या समाज तक सीमित नहीं है, बल्कि हर समाज पर समान रूप से लागू होती है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि भाजपा किसी की सगी नहीं है और आज ‘भाजपाईÓ कहलाना स्वयं में एक नकारात्मक पहचान बन चुका है।
उन्होंने आरोप लगाया कि आज भाजपाई की पहचान ऐसे लोगों के रूप में हो गई है जो अपने लालच के लिए अरावली जैसी पर्वतमालाओं की परिभाषा तक बदलने को तैयार हैं, ताकि पर्यावरण और आने वाली पीढिय़ों की कीमत पर मुनाफा कमा सकें। जो लोग कुकृत्यों में दोष सिद्ध होने के बाद जेल से बेल पर छूटते हैं और उनका सार्वजनिक रूप से महिमामंडन किया जाता है। जो दवाइयों के नाम पर जहरीली और नशीली दवाएं बेचकर लोगों की जिंदगी को खतरे में डालते हैं। जो कैमरों के सामने तक चुनाव लूटने से नहीं हिचकते, फिर पर्दे के पीछे क्या करते होंगे, इसकी कल्पना करना कठिन नहीं है।अखिलेश यादव ने कहा कि ऐसे लोग सीसीटीवी में अभद्रता करते हुए पकड़े जाने के बाद भी खुलेआम घूमते रहते हैं। भ्रष्टाचार के लिए हर मर्यादा तोडऩा इनके लिए सामान्य बात है। बिना पर्याप्त जांच-पड़ताल के वैक्सीन लगवाकर आम जनता की जान को जोखिम में डालना हो या नफरत का एजेंडा चलाकर समाज में सौहार्द और भाईचारे को तोडऩा, भाजपा से जुड़े लोग हर जगह आगे नजर आते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि संगठित भीड़ बनाकर खुलेआम हिंसा करना, बच्चों तक को नकारात्मक और भेदकारी सोच से दूषित करना, और शिक्षा व कला को परिवर्तन का माध्यम मानने के बजाय उसे नकारना, यही इनकी पहचान बन चुकी है।समाजवादी पार्टी अध्यक्ष ने कहा कि इनकी सामंती सोच में महिलाओं, गरीबों, शोषितों, वंचितों और दमित समाज के लिए कोई स्थान नहीं है। अपने अधिकारों को बचाने के लिए ये दूसरों के अधिकारों का खुलेआम हनन करते हैं। न तो इन्हें संविधान की परवाह है और न ही कानून की। भीड़ बनकर टूट पडऩे को ये ताकत समझते हैं, जबकि वैज्ञानिक सोच और सवाल करने की प्रवृत्ति से इन्हें भय लगता है, क्योंकि इनके पास सवालों के जवाब देने की न तो इच्छा है और न ही योग्यता।अखिलेश यादव ने कहा कि इसी वजह से भाजपाई और उनके संगी-साथी प्राय: सामने आकर काम करने के बजाय गोपनीय और छद्म तरीकों को अपनाते हैं। इनकी सोच में विविधता नहीं होती, इसलिए ये समावेशी भी नहीं हो सकते। दिखावे के लिए ‘सबका साथ, सबका विकासÓ का नारा दिया जाता है, जबकि हकीकत में यह ‘कुछ का साथ, कुछ का विकासÓ बनकर रह जाता है।उन्होंने कहा कि संसाधनों और सत्ता पर एकाधिकार की मानसिकता के कारण भाजपा शासन में अमीर और गरीब के बीच की खाई लगातार बढ़ती जा रही है। कमीशनखोरी, मुनाफाखोरी, भारी भ्रष्टाचार और महंगाई आम जनजीवन को तबाह कर रही है। बेरोजगारी, बेकारी और भुखमरी बेतहाशा बढ़ रही है। भय और अविश्वास फैलाकर समाज को बांटना और भोले-भाले लोगों को तात्कालिक लालच देकर दीर्घकालीन नुकसान पहुंचाना इनकी पुरानी कार्यशैली रही है।अखिलेश यादव ने कहा कि इन्हीं कारणों से आज कोई भी देशभक्त, सभ्य, मानवतावादी, ईमानदार और स्वाभिमानी समाज भाजपाइयों और उनके सहयोगियों के साथ खड़ा होकर अपमान और जनाक्रोश का शिकार नहीं होना चाहता। उन्होंने कहा कि जब भाजपा जाएगी, तभी हर समाज को बराबरी का सम्मान मिलेगा और लोकतंत्र की असली भावना बहाल हो सकेगी।
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